यूथ फॉर हिमालय से जुड़े रुचित आशा कमल से वर्तमान किसान आंदोलन व पर्यावरण के संकट पर इंटरव्यू ( यह इंटरव्यू शम्भू बॉर्डर पर ही लिया गया है )

climate-change

प्रश्न-आपका नाम और आप किस संगठन से जुड़े हैं और आपका संगठन क्या काम करता है?

उत्तर– मेरा नाम रुचित आशा कमल है . मैं तेलंगाना से हूँ और मैं युथ फॉर हिमालय नेटवर्क से जुडा हूँ। यह उन युवाओं का संगठन है जो राज्य हिमालय पर्वत के चेत्र मै आते हैं।उन सभी राज्यों के युवा लोग जुड़ कर एक आवाज़ उठाना चाहते है कि पूरे भारत देश के लिये हिमालय का क्या महत्व है. इसी के साथ मैं जलवायु परिवर्तन मोर्चा और क्लाइमट फ़्रंट इंडिया का सदस्य भी हूँ।इन संगठनों की भारत के अलग अलग प्रांतो से जुड़े युवा साथी जनता के बीच लोगों के साथ पर्यावरण के संकट के बारे जागरूकता फैलाने का काम करते हैं। साथ ही पर्यावरण के कारण समाज के वंचित सेक्शन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर बात करते हैं।

प्रश्न– क्या आप यहाँ यानि शम्भु बॉर्डर पर पहली बर आये हो?

उत्तर– हाँ मैं किसान आंदोलन मै पहली बार आया हूँ ओर ये मेरा पहला इक्स्पिरीयन्स है।इधर आने की दो वजह थी।पहली हमें किसान आंदोलन के साथ सोलेडिरिटी व्यक्त करनी थी ।दूसरा मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूँ कि समाज के जो भी सेक्शन हैं वो ज़्यादातर चुप ही रहते हैं ।ओर जो लोग अपने इशुज को लेकर आवाज़ उठाते हैं ,एक प्रैक्टिकल डिमांड के साथ आगे आते हैं उन लोगों को मैं व्यक्तिगत रूप से सोलेडिरिट दिखाता ही हूँ।ओर दूसरी वजह यू थी कि मैं यंहा आकर देखना चाहता था की किसान यूनियन कैसे इतने सारे लोगों को संगठित कर पा रही हैं।इनकी क्या डिमांड है? आगे की स्ट्रैटेजी क्या है? ये सब लोग कैसे काम करते हैं। इस बारे मै सीखना भी चाहता था।इसके साथ ही हम किसान साथियों को यह भी बताने आये हैं की क्लाइमट चेंज का दुष्प्रभाव किसानो पर कैसे पड़ेगा।किसान, गरीब, पीड़ित वंचित जनता पर ग्लोबल वॉर्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है।इसकी अंडर्स्टैंडिंग किसानो के बीच डिवेलप करना चाहते हैं।ओर हमने किसान यूनियनों ,को ये सुझाभ व अनुरोध भी किया है कि पर्यावरण के संकट और ग्लोबल वॉर्मिंग के मुद्दों को भी अपने एजेंडे में शामिल करें। क्योंकि ये आपस में जुड़े हुए हैं ओर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

Farmer protest

प्रश्न– आप यँहा मोर्चे पर पहली बार आये हो।आपने मीडिया ओर सोशल मीडिया पर यें ट्रैक्टर ट्रोलि ,लंगर ज़रूर देखा होगा। तो यंहा खुद आकर ये सब लाइव देखना, आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है ये सब देख कर?

उत्तर– भाई मेरे लिये तो ये सब इंटरेस्टिंग है।यंहा इतनी बड़ी तादाद में लोग इकट्टा हैं । इनकी सारी डिमांड इनके जीवन यापन से जुड़ी हुईं हैं,जिनके लिये ये संघर्षरत हैं ये सब बहुत ऊर्जा देनेवाला है। यंहा आकर बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।कुछ आंदोलन होते हैं जो इतिहास में दर्ज हो जाते हैं ये उस ही तरह का आंदोलन है।मीडिया ओर सोशल मीडिया में इस आंदोलन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार किया जा रहा है।!इनको बदनाम करने की लिये इन्हे तरह तरह के टैग दिये जा रहे हैं।इनको एंटीनेशनल ,आतंकी.फ़र्ज़ी किसान और आंदोलनजीवी तक बोला जा रहा है।लेकिन यंहा आकर पता लगा कि किसानो का असली मुद्दा क्या है वो क्यों लड़ रहे हैं, उनका पॉइंट ऑफ व्यू क्या है। ये सब दूर से बैठ कर पता नहीं लगता बल्कि यही पर आकर इसे समझा जा सकता है।

प्रश्न–   जैसा आपने बोला की आप इस किसान आंदोलन के समर्थक हैं। एक समर्थक होने के नाते आपको लगता है कि सभी किसान यूनियनों को एक हो जाना चाहिये जैसे पिछले आंदोलन में एक थी ।क्योंकि इस बार किसान संगठनों में आपस मे बिखराब दिख रहा है।

उत्तर– हाँ ये मैं मानता हूँ की सबको एक होना चाहिये । चाहे वो SKM हो या इधर जो SKM (नोन पोलिटिकल) और KMM है, अभी सबको एक होने की ज़रूरत है। क्योंकि अगर आप अलग अलग बिखर कर आवाज़ उठाएँगे तो उसका इतना प्रभाव नहीं पड़ेगा। जब आपके मुद्दे एक हैं, माँगे एक है, लड़ाई एक है तो उसको एक होकर ही लड़ना चाहिये।हमने किसान यूनियनों को ये अनुरोध किया भी है। उन्होंने भी बोला है कि हमारे आपस में ज़रूर कुछ डिफ़्रेन्ससेज हैं लेकिन प्रयास जारी है। बाक़ी मैं व्यक्तिगत लेवल पर भी एक युवा होने के नाते बोल रहा हूँ कि प्लीज़ आप सब लोग एक हो जाओ। एक होके अपनी आवाज़ को एक लाउड आवाज़ बनाओ।

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