भाजपा के लिए अबकी बार 25 पार की राह इतनी भी आसान नहीं है

भाजपा के लिए अबकी बार 25 पार की राह इतनी भी आसान नहीं है

          राजस्थान में लोकसभा के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होने जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इसके लेकर अपनी अपनी तैयारियों में जुटी हुयी हैं। जहाँ एक तरफ भाजपा की कोशिश है कि 25 सीटों पर क्लीन स्विप करके अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराये वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि वो कम से कम 25 में से 10 सीटों पर तो अपनी जीत दर्ज करें ही। जानकारों की माने तो इस बार का लोकसभा चुनाव एक तरफ़ा होता नहीं दिख रहा है जो कि भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यानि की भाजपा के लिए इस बार 25 पार की राह इतनी आसान भी नहीं होने वाली है जैसा कि भाजपा दावा कर रही है। अन्य छोटी पार्टियां और निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं खेल।

                 इस बार ऐसी कई सीटें हैं जिन पर कांग्रेस के आलावा कई अन्य छोटे राजनितिक दल और निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहें हैं जिनकी स्तिथि मजबूत भी बताई जा रही। जानकारों की माने तो सीकर, नागौर, डूंगरपुर- बांसबाड़ा और बाड़मेर की ये वो सीटें हैं जहाँ पर अन्य पार्टियां या निर्दलियों की स्तिथि मजबूत बताई जा रही है।

1.              आपको बता दे सीकर से इंडिया गठबंधन के सी.पी.एम. के प्रत्याशी अमराराम चुनाव लड़ रहें हैं। वो पहले भी सी.पी.एम. से विधायक रह चुके हैं। राजस्थान के शेखावाटी इलाके के किसान समुदाय में उनका अच्छा खासा प्रभाव देखा जाता है। 2020 में चले किसान आंदोलन में राजस्थान के किसानों की अगुवाई भी कर चुकें हैं। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी होने के कारण कांग्रेस ने यहाँ अपना कोई प्रत्याशी नहीं दिया है।

2.            नागौर की सीट की बात करें तो यहाँ से भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उतारा है तो वहीं उनके सामने प्रत्याशी हैं RLP के हनुमान बैनिबाल। खास बात ये है कि पिछले लोकसभा चुनाव में हनुमान बैनिबाल NDA गठबंधन का हिस्सा थे। लेकिन इस बार वो इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहें हैं। इस लिए कांग्रेस ने यहाँ पर भी कोई उम्मीदवार नहीं दिया है। हनुमान बेनीवाल राजस्थान के काफ़ी चर्चित नेता हैं जिनका शेखावाटी और नागौर में अच्छा खासा प्रभाव पाया जाता है। ये छात्रों, युवाओं में भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।

3.             डूंगरपुर-बांसबाडा सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी से राजकुमार रौत चुनाव लड़ रहें हैं। राजकुमार रौत पिछली दो बार से लगातार विधायक रहें हैं जिनके सामने भाजपा के महेन्द्र जीत मालवीय मैदान में हैं। यहाँ पर भी कांग्रेस राजकुमार रौत को अपना समर्थन दे चुकी है। बाप दक्षिणी राजस्थान के भील समुदाय में अच्छी खासी पकड़ रखती है। कांग्रेस और बाप के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने से दक्षिणी राजस्थान में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

4.               बाड़मेर ये सीट भी काफ़ी चर्तित सीट मानी जा रही है। इस सीट पर निर्दलीय विधयाक रविन्द्र सिंह भाटी चुनाव लड़ रहें है। जो कि भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही खेल बिगाड़ सकते हैं। रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर की शिव विधानसभा से निर्दलीय विद्यायक हैं विधानसभा चुनावों के वक्त भी उन्होंने काफ़ी सुर्खियां बटोरी थी। अब वो बाड़मेर की लोकसभा सीट से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहें हैं। हालांकि वो इस बार सफल हो पाते हैं या नहीं ये तो 4 जून को ही पता लगेगा, लेकिन उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ को देखकर तो यही कयास लग रहें हैं कि वो मजबूत स्तिथि में हैं। जो कि कांग्रेस और खासकर भाजपा के लिए परेशानी का एक सबब बनता दिख रहा है।

                 यह जो नई राजनीतिक परिस्थितिया बनी है इन्ही सब कारणों से ये कहाँ जा सकता है कि इस बार का चुनाव पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में जाता हुआ नहीं दिख रहा है।

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