ST और SC आरक्षण में उपवर्गीकरण मुद्दे पर अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज आरक्षण समिति के राष्ट्रीय सयोंजक ओमप्रकाश घेघट का साक्षात्कार

               01 अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया जिसमे ST और SC आरक्षण में उपवर्गीकरण की बात कही गयी। इस फैसले के बाद से ही SC और ST की जातियों में इसको लेकर अलग अलग राय देखी जा रही है। जहाँ इस फैसले के विरोधी इसे आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की एक साजिश बता रहें हैं, वहीं इस फैसले के समर्थक इसे सामाजिक न्याय की तरफ एक बढ़ता हुआ कदम बता रहें हैं। इसी मुद्दे पर वाल्मीकि समाज का पक्ष समझने के लिए विकल्प ब्लॉग द्वारा ओमप्रकाश घेघट के साथ साक्षात्कार किया गया। ओमप्रकाश घेघट काफी लंबे समय से इस मुद्दे पर काम कर रहें हैं और वे वर्तमान में अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज आरक्षण समिति के राष्ट्रीय सयोंजक  हैं।

प्रश्नआप सुप्रीम कोर्ट के SC/ST में वर्गीकरण के फैसले को कैसे देखते हैं। क्या आप इस फैसले का स्वागत करते हैं। अगर हाँ तो क्यों?

उत्तरपहली बात तो ये है कि संवैधानिक तौर पर हम एक फ़ेडरल स्टेट में रहते हैं। और सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला राज्यों को ये अधिकार देता है कि वो अपने अपने राज्यों में ये तय कर सकें कि उनके किस जाति की क्या स्थिति है और जो उनकी स्थिति को सुधारने के लिए क्या क्या उपाय किये जाने चाहिए। और दूसरी बात ये है कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहें हैं उनका ये तर्क है कि ये सीधे तौर पर आर्टिकल 341 का उल्लंघन है क्यों कि आरक्षण पर किसी भी तरह की नीति को निर्धारित करने का अधिकार हमारी संसद को है न कि सुप्रीम कोर्ट को। तो इस पर मैं ये कहना चाहता हूँ कि ये सिर्फ उपवर्गीकरण है। इससे किसी भी जाति की कोई कैटेगिरी नहीं बदलेंगी कि किसी जाति को SC से बदलकर ST में या ST से बदलकर SC या अन्य कैटेगिरी में डाला जायेगा। ये निर्णय सिर्फ SC/ST के अंदर  उपवर्गीकरण की बात करता है, न कि किसी जाति को SC/ST में से अंदर लाने या बहार निकालने की। और वैसे भी SC आयोग द्वारा पहले से ही वाल्मीकि समाज और अन्य जातियाँ अधूसूचित हैं। तो ये  फैसला किसी भी तरह से SC आरक्षण में बदलाव नहीं है बल्कि सिर्फ उपवर्गीकरण की बात करता है। इस लिए हम इसका स्वागत करते हैं।

प्रश्न आपके हिसाब से SC में उपवर्गीकरण क्यों महत्वपूर्ण है?

 उत्तरआर्टिकल 21 के तहत देश में सभी नागरिकों को गौरव पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है लेकिन ये पिछली साल के ही सरकारी आंकड़े हैं कि वाल्मीकि समाज के 420 सफाई कर्मचारियों की सीवर की सफाई के दौरान मौत हुयी है। ऐसा देश में किसी अन्य जाति के साथ होता है क्या? तो  सामाजिक रूप हमारे जीवन की जो विशेष परिस्थितियां हैं तो उसमे हम सामाजिक न्याय की मांग कर रहें हैं, सामाजिक न्याय का मतलब वास्तविक रूप से हमें हमारे अधिकार मिले वास्तविक रूप से हमारे जीवन में परिवर्तन आये। और इस लिए हम सुप्रीम कोर्ट के उपवर्गीकरण के फैसले का समर्थन करते हैं। वैसे तो ये भी पर्याप्त नहीं हैं  हमारी मांग तो अलग से संवैधानिक आरक्षण की है लेकिन अगर ये उपवर्गीकरण भी होता है तो हम इसका स्वागत करते हैं। क्योंकि संविधान में हर जाति हर समुदाय को इस बात के लिए संरक्षित किया कि उसके साथ न्याय हो। आप एंग्लो इंडियन का उदहारण देख लो 2019 से पहले तक एंग्लो इंडियन को राजनीती आरक्षण था जब उनकी संख्या नगण्य रही तब उनका आरक्षण ख़त्म किया। आप वाल्मीकि समाज की स्थिति को राजस्थान के उदाहरण से समझ सकते हैं इतनी बड़ी आबादी के बाद भी असेंबली में हमारी जाति का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। और ये स्थिति करीब करीब 30 सालों से बनी हुयी है। तो हम जो एक विशेष तरह का अन्याय सहन कर रहें हैं और उसमे जब हम देखतें हैं कि दूसरे समुदाय की तरह हमें हमारा प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है हमें हमारे अधिकार नहीं मिल पा रहें हैं तो ऐसी स्थिति में हमें बतौर जाति सरक्षण की जरूरत है। इस लिए जैसा मैंने पहले कहाँ कि हमारी मांग तो प्रथक जातिगत आरक्षण की है जिसे 9वीं अधूसूची में डाला कर उसे संरक्षित किया जाये। क्यों कि एक बार के लिए ये उपवर्गीकरण, वर्गीकरण हो भी जायेगा लेकिन ये राजनीतक रूप से राज्य सरकार पर निर्भर करेगा। कोई सरकार इसे लागू करेगी कोई नहीं। इस लिए हम इसमें सरकार और न्यायलय द्वारा वैधानिक सरक्षण चाहते हैं।

प्रश्न  आप इस फैसले को का स्वागत कर रहें हैं और इसे सामाजिक न्याय के पक्ष में बता रहें हैं लेकिन बहुत से दलित संगठन इस फैसले का विरोध कर रहें हैं उन्होंने इसके खिलाफ 21 अगस्त को भारत बंद भी किया था। इस पर आपकी प्रतिक्रिया?

उत्तरदेखो पहली बात तो यह है कि SC अपने आप में कोई समता मूलक वर्ग नहीं है क्यों कि उसमे जो है विभिन्न जातियाँ हैं जिसके अपने अपने पेशें हैं, अपने अपने कल्चर हैं और इसमें आपस में कोई इंटर सोशल कल्चरल रिलेशन नहीं है। मतलब इनमें आपस में कोई शादी विवाह नहीं होता। अन्य कोई भी रिती रिवाज़ नहीं मिलते आपस में। जैसे कि ब्राह्मण, चाहे वो गॉड ब्राह्मण हो या सनाड्या ब्राह्मण, वह एक वर्ग है, ऐसे ही वैश्य एक वर्ग है चाहे अग्रवाल हो या माहेश्वरी हो ये सारे लोग व्यापार से जुड़े हैं। इसी तरह से क्षत्रिय एक वर्ग है जो ऐतिहासिक रूप से रूलिंग क्लास से जुडा हुआ था। लेकिन SC में आप देखोगे कि इसमें विभिन्न जातियाँ हैं। अगर आप वाल्मीकि समुदाय को देखोगे तो पाओगे कि ऐतिहासिक रूप से हमारा काम था शमशानों में अंतिम संस्कार करवाना, सफाई करना, बांस की लकड़ी के आईटम बनाना, सूयर पालन का काम तो ये सब काम वाल्मीकि जाति के रहें हैं। ऐसा किसी SC की अन्य जाति में नहीं है। तो सफाई कर्मचारी वर्ग अपने आप में एक उपवर्ग है इससे सबंधित वर्ग डोम है,लालबेगी है ऐसे ही अन्य कुछ और भी है जिन्होंने समय और पेशें के कारण अपने नाम रख लिए जो कि मुख्य रूप से वाल्मीकि समुदाय के वर्ग से ही सबंधित हैं। हमारा SC के जाटव समुदाय से या महावर समुदाय से सामाजिक और आर्थिक रूप से सम्बन्ध नहीं बनता है इस लिए SC में उप वर्गीकरण करना जरुरी है।

प्रश्न  SC/ST में जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहें हैं खासकर जाटव और मीणा समुदाय के लोग उनका ये तर्क है कि इससे पूरी आरक्षण की पूरी की पूरी व्यवस्था ही खत्म की जा सकती है। इस पर आपकी प्रतिक्रिया?

उत्तरजो लोग इस फैसले का विरोध कर रहें हैं वो पूरी तरह से गलत भ्रम फैला रहें है।  आरक्षण को ख़त्म करने न करने का अधिकार केवल संसद के पास है। कोर्ट सिर्फ उपवर्गीकरण की बात कह रहा है। सवाल ये है जिनको अब तक मलाई मिली है वो किसी अन्य जाति को उसका हक़ नहीं देना चाहते। चाहे मायावती हो या चंद्रशेखर हो वो सिर्फ अपनी जाति की राजनीति कर रहें हैं और कुछ नहीं। जाटव बैरवा समाज अगर सामाजिक न्याय का सचमे पक्षधर है तो मैं उनसे अपील करता हूँ की वो राजनीतिक रूप से SC कोटे की सीटों अन्य SC की वंचित जातियों की लिए छोड़ने की घोषणा कर दीजिये कि इन आरक्षित सीटों पर SC में जो सक्षम जातियाँ हैं वो चुनाव नहीं लड़ेगी। तो ये केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए भ्रम फैला रहें हैं।  SC आरक्षण के कारण सेवाओं में और राजनीतिक रूप से अब तक जिस जाति विशेष को फायदा मिला है ये उसी जाति का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं न कि पूरी SC की जातियों का। भारत बंद में भी ये देखा जा सकता है कि इसमें सम्पूर्ण SC की जातियों का इन्हे समर्थन नहीं मिला है जैसे की धोबी या महावर समाज का।  ये केवल चंद जाति विशेष का बंद था।

प्रश्न आपके हिसाब से SC में वाल्मीकि जाति के अलावा अन्य जातियाँ भी हैं क्या जिनको उपवर्गीकरण से फायदा मिलेगा?

उत्तर जी जैसे भांड, कंजर सपेरा हैं अन्य घुमन्तु जातियाँ हैं सामाजिक और आर्थिक रूप से आज भी काफी पिछड़े हुए हैं। इनके पास न तो कोई स्थाई घर है और न ही स्थाई रोजगार। तो इससे उनको भी न्याय मिलेगा।

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