C A A — 2019 : क़ानून जो इस्लाम धर्म की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करता है!!

अगर CAA को एक़ वाक्य में समझे तो – भारत में रह रहे सभी अवैध प्रवासियों को दो समूहों में बाँट कर एक समूह को क़ानूनन वैध मान कर ,उन्हें भारतीय नागरिकता लेने का पात्र बनाने क़ा क़ानून है!
2019 में बने इस क़ानून का 11 मार्च 2024 को नोटिफ़िकेशन आ गया है। देश में जब लोकसभा के आम चुनाव होने जा रहे हैं , उस समय ये क़ानून पूरे देश में लागू हो गया है।क़ानून बनने ओर उसके लगभग चार साल बाद , चुनावों से ठीक पहले इसके नोटिफ़िकेशन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।लोगों का मानना है की केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने नोटिफ़िकेशन का ये समय इसलिये चुना है जिससे आम चुनावों में इस मुद्दे को आधार बना कर धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा सके ओर चुनावों में फ़ायदा लिया जा सके।
1955 के नगरिकता क़ानून में ,जो कि मूल क़ानून है , आसपड़ोस के देशों से आये सभी लोग जो बिना उचित दस्तावेज़ों के भारत में आये उनकी क़ानूनी स्तिथि ‘’ अवैध प्रवासी’’ की थी चाहे वो किसी भी देश से आये ओर किसी भी धर्म को मानने वाले थे।

2019 में केंद्र सरकार नगरिकता संशोधन बिल लेकर आयी ,जो पास होने के बाद नागरिकता क़ानून बना ओर इसको ही नागरिकता ( संशोधन) क़ानून 2019 यानी C A A — 2019 कहते हैं।
आपको याद होगा जब 2019 में ये बिल आया तो देशभर में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन,धरने हुये।दिल्ली के शाहिन बाग का धरना तो साल भर से ऊपर चला ,जिसका नेतृत्व महिलाओं ने किया । उस समय इसे संशोधन बिल का विरोध कर रहे थे उनका स्पष्ट मानना था की की ये प्रस्तावित संशोधन भारतीय समविधान के विरूद है,क्योंकि समविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता।
बिल का विरोध करने वालों के ठोस तर्क थे ओर अभी भी ,क़ानून लागू हो जाने के बाद भी हैं।

C A A 2019 में कुछ ‘’ अवैध प्रवासी ‘’ समूहो को इस संशोधन के बाद ‘’ अवैध प्रवासी’’ नहीं माना जायेगा ।अब सवाल ये था/है कि ‘’ अवैध प्रवासियों ‘’ को दो भागों में बटाने का मूल आधार क्या था? तो इसका जवाब है – धर्म! इस क़ानून में दो जगह धर्म को आधार बनाया गया है। पहला वो किस देश से आये है?ओर दूसरा वो किस धर्म को मानते है?
यही इस संशोधन में मुख्य बात है कि तीन देशों – अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान,बंगलादेश से आये छः धर्मों के – हिंदू,सिख, बोधध,जैन,ईसाई, पारसी – लोग हैं तो अब उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जायेगा।यानी इन देशों के मुस्लिम ओर रोहिंग्या को छोड़ सभी भारतीय नागरिकता लेने के पात्र होंगे।ऐक ख़ास बात की देशों की सूची में श्री लंका नहीं है।शायद इसलिये की वह इस्लामिक देश नहीं है! मतलब श्री लंका से आये उत्पीड़ित हिंदूओं को इस संशोधित क़ानून में कोई रियायत नही। उनकी क़ानूनी स्तिथि अभी भी अवैध प्रवासी की ही रहेगी। श्री लंका की हिंदुओं को इसमें शामिल नहीं किया गया है तो इससे एक बात तों स्पष्ट है की सरकार ओर भाजपा का यह दावा झूठा है की C A A — 2019 सभी उत्पीड़ित हिंदुओं को सम्माजनक जीवन देने के लिये लाया गया क़ानून है। क़ानून के उचित अनुचित होने को एक बार छोड़ भी दे तब भी यह प्रश्न हमेशा बना रहेगा की क्या ये नागरिकता ( संशोधन ) क़ानून 2019 चाहे अनचाहे इस्लाम धर्म की नकारात्मक छवि बनाता है?
यह सवाल इसलिये उठता है क्योंकि इसमें जो देश हैं वो तीनो ही मुस्लिम देश हैं।इससे अप्रत्यछ यही संदेश जाता है की इन देशों में अन्य अल्पसंख्यक धर्म के ऊपर बहुत अत्याचार किए जाते हैं!
C A A – 2019 आगे भारत देश के सामाजिक धार्मिक वातावरण को कैसे प्रभावित करेगा , एक बार इसको छोड़ दे तब भी इस क़ानून से भारत में धार्मिक आधार पर क़ानून बनाने का बीज तो पड़ चुका है। अब ये रास्ता कितना लम्बा जाता है ,कैसे कैसे अनचाहे परिणाम लाता है यह तो भविष्य के गर्त में छुपा है।