मेवात में साम्प्रदायिकरण – एक सांस्कृतिक अध्ययन :- राजाराम भादू (भाग -१)

अध्याय -1 राजस्थान का साम्प्रदायिक परिदृश्य 

अध्याय -2 मेवातः इतिहास बनाम आख्यान

अध्याय -3 1857 और 1947: सहमेल और विपर्यय

अध्याय -4 6 दिसम्बर 1992 और उसके बादः दुःस्वप्न की वापसी

अध्याय -5 साम्प्रदायिक ध्रुवीकरणः समाजार्थिक व सांस्कृतिक कारक

अध्याय -6 साम्प्रदायिकता के प्रतिकार के उपक्रम

अध्याय -7 शांति और सह-जीवन: प्रस्‍तावित कार्ययोजना व रणनीतियां

राजस्थान का साम्प्रदायिक परिदृश्य

अयोध्या में बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद राजस्थान के जयपुर सहित कई शहरों में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों को लेकर जस्टिस टिबरेवाल जांच आयोग (दिसंबर 1992) बनाया गया था जिसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है। उसके बाद शहर के एक कब्रिस्तान में अतिक्रमण को लेकर फिर दंगा हुआ, एक आयोग (जस्टिस सक्सैना जांच आयोग, 1999 में गठित) हाल तक इसकी सुनवायी में लगा था। विगत एक दशक में साम्प्रदायिक संगठनों ने ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों तक प्रभाव विस्तार कर लिया है। इस दौरान जयपुर व पाली शहरों में अयोध्या में कथित रूप से बनने वाले राम मंदिर के लिए पत्थर तराशे जाते रहे तो दूसरी ओर प्रदेश में यत्र-तत्र जलाभिषेक और त्रिषूल दीक्षाओं के अंतर्गत हिन्दूकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। इस सबसे समाज के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया तेज हुई।

केन्द्र में भाजपा नीत राजग गठबंधन के सत्ताकाल में प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इसके अनुषंगी संगठनों की सक्रियता बढ़ी। कारगिल की युद्ध जैसी स्थिति, 11 सितम्बर 2001 को न्यूयार्क के वल्र्ड ट्रेड सेन्टर ध्वस्त होने की घटना और अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान पर आक्रमण एवं भारत-पाकिस्तान सीमा तनाव के प्रसंग में संघ-परिवार ने निरन्तर अपना उग्र राष्ट्रवादी हिन्दूवादी अभियान चलाये रखा। इस अभियान का जिस किसी ने विरोध किया, उसे देशद्रोही कहा गया। पूर्वी राजस्थान के क्षेत्र मेवात में संघ-परिवार ने सर्वाधिक सक्रियता दिखायी। उल्लेखनीय है कि 1947 में विभाजन के समय मेवों के सफाये की कोशिश की गयी थी। जबकि मेव ऐसा समुदाय रहा है जो न तो पूरी तरह से हिन्दू था और न ही मुसलमान।

2002 में गुजरात में हुए दंगों और नरसंहार का राजस्थान पर सबसे ज्यादा असर हुआ। प्रदेश के सीमांत जिलों में कई जगह आगजनी और आक्रमण की घटनाएं हुईं। आसींद, ब्यावर और गंगापुर सिटी सहित कई कस्बों में साम्प्रदायिक तनाव के चलते कर्फ्यू लगाना पड़ा। गुजरात के घटनाक्रम ने हिन्दू कट्टरपंथियों में जैसे जुनून पैदा कर दिया जो पूरे प्रदेश पर तारी था। राजस्थान के हाडौती अंचल के झालावाड़ जिले में अकलेरा कस्बे व उसके इर्द-गिर्द के गांवों में अल्पसंख्यक मुस्लिम परिवारों के घरों पर हिन्दू कट्टरपंथी संगठन बजरंग दल द्वारा आक्रमण किया गया।  (सितंबर 17, 18 व 19, 2003) तथा उनकी संपत्ति को या तो लूट लिया गया अथवा विनष्ट कर दिया गया।

मेवों की तरह राजस्थान में कई और ऐसे समुदाय हैं जिनकी संस्कृति मिश्रित है, उन्हें हिन्दू या मुस्लिम की श्रेणियों में रखना कठिन है। इस क्षेत्र में डाॅमिनिक सिला खान का अध्ययन ’कन्वर्जंस एण्ड शिफ्टिंग आइडेंटिटीजः रामदेव पीर एण्ड दि इस्माइलीज इन राजस्थान’ (दिल्ली-मनोहर, 1997) महत्वपूर्ण तथ्य सामने लाता है। लंगा और मांगणियार लोक-गायकों की शैली सूफियों की परंपरा से मिलती है। डाॅमिनिक सिला खान के अनुसार इन समुदायों को डेविड जिलमार्टिन और ब्रूस लारेंस की पुस्तक ’बीयोंड हिन्दू एण्ड तुर्कः रिथिंकिंग रिलीजन्स आइडेन्टिटीज इन इस्लामिकेट साउथ एशिया’ की स्थापनाओं के परिप्रेक्ष्य में देखे जाने की आवश्यकता है। इन सामाजिक सांस्कृतिक रूपों में समन्वयवाद की विलक्षण धारा मिलती है।

राजस्थान में ऐसी मिश्रित संस्कृतियों वाले सैकड़ों समुदाय हैं जिन्हें हिन्दू-मुस्लिम की रूढ़ श्रेणियों में रखना मुश्किल है। विगत वर्षों में कई संगठन इनके साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों में लगे हें और उन्हें किसी हद तक कामयाबी भी मिली है। चीता-मेरात, लंगा-मांगणियार और गद्दी आदि ऐसे अधिकतर समुदाय प्रदेश में इधर-उधर फैले हुए हैं जबकि मेव समुदाय एक निश्चित भू-सांस्कृतिक क्षेत्र में बसा है। मेवात को इसीलिए इस अध्ययन के लिए चुना गया ताकि साम्प्रदायिकरण की प्रक्रियाओं का सघनता से रेखांकन किया जा सके।

इस अध्ययन के अंतर्गत मेवात का एक वस्तुपरक सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है जिसमें मेवात में साम्प्रदायिक तनाव व द्वन्द्व के कारणों की पड़ताल की जा सके। साथ ही वहां कुछ जगह लम्बे समय से चले आ रहे शांति और सहअस्तित्व के कारकों को भी उभारने का प्रयास किया गया हैं इस संदर्भ में नागरिक समाज (स्वयंसेवी संस्थाओं) की भूमिका को भी देखा गया है। अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर एक कार्ययोजना प्रस्तावित की गई है।

द्वितीय अध्याय के लिए जुड़े रहें….

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