राजस्थान के करौली जिले के डांग (जंगल) क्षेत्र की आदिवासी, परम्परागत वनवासी जनता की ओर से कई वर्षों से बार बार राजस्थान सरकार, केन्द्र सरकार और जिला प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराया जाता रहा है! जिसमें मुख्य रूप से जीवन की आधारभूत जरूरतो – पानी , बिजली, सड़क और शिक्षा व चिकित्सा के पूर्ण अभाव के सम्बंध में बताने के साथ ही फोरेस्ट विभाग द्वारा उनके जीवन यापन में बांधा पैदा करने एवं गैर कानूनी मनमर्जी तौर पर जमीन दखल करने, पशुपालन को जबरिया रोकने, झूठे मामले दर्ज कर वनवासियों को उत्पीडित – शारीरिक तौर पर पीड़ित करने के सम्बंध में अवगत कराया जाता रहा है! इसके लिये वनवासी ग्रामीणों ने आमसभाऐ आयोजित कर सर्व सम्मत प्रस्तावो के साथ तैयार ज्ञापन जिला कलेक्ट्रेट में पहूंच कर जिला कलेक्टर महोदय को और उनके जरिये राजस्थान सरकार – मुख्यमंत्री महोदय , राज्यपाल महोदय , केन्द्र सरकार को भी प्रेषित किये गये!
इस पर अलग अलग समय में जिला प्रशासन ने अलग अलग तरह का रवैया अपना कर ग्रामीणों की समस्या पर टालमटोल करने का ही रवैया अपनाया है ! क्षेत्र मे फोरेस्ट विभाग – सह अभ्यारण्य विभाग द्वारा अभ्यारण्य क्षेत्रीय जंगल और सामान्य फोरेस्ट क्षेत्र- कोर एरिया , बफर एरिया आदि के नाम पर के बंटबारा करते हुए ग्रामीणों को उलझाने का ही रवैया अपनाया जाता रहा है! गौरतलब है कि जहां कथित अभ्यारण्य क्षेत्र- कथित कोर एरिया के निवासियो के मूलभूत नागरिक व मानव अधिकारो से बिल्कुल ही इंकार किया जाता रहा है वही सामान्य फोरेस्ट – बफर एरिया आदि मे भी मुलभूत व्यवस्थाऐ करने की बात को सैद्धांतिक तौर पर मानते हुए भी टालमटोल ही की जाती रही है और कोई भी उचित उपयुक्त कार्यवाही नहीं की जाती है !
जहां तक कथित अभ्यारण्य क्षेत्र का मसला है जिसे वे कोर क्षेत्र भी कहते हैं – उस क्षेत्र के सीमांकन की बात है – इस सम्बंध में भी शासन , फोरेस्ट विभाग की नीति व कार्यनीति भ्रामक ही है ! वास्तविकता यह है कि जो क्षेत्र कल तक सामान्य फोरेस्ट था या बफर ( मिला जुला ) क्षेत्र चिंहित किया जाता रहा वहीं कुछ दिनों बाद अभ्यारण्य – कोर क्षेत्रघोषित कर दिया जाता है और वहां की निवासी जनता के समस्त मानव अधिकार , नागरिक अधिकार , जीवन आधिकार तक को पूरी तरह नकार दिया जाता रहा है ! वास्तविकता यह है कि पूरा कैलादेवी , सपोटरा , करणपुर मण्डरायल डांग क्षेत्र जंगल झेत्र बाघ अभियारण्य के तौर पर नोटीफाई किया गया है – बल्कि सच तो इससे भी ऊपर है करौली जिले का समस्त डांग क्षेत्र – जिसमें मासलपुर डांग क्षेत्र भी शामिल हैं – यही नहीं भरतपुर जिले के बयाना डांग क्षेत्र को लेकर , धौलपुर जिले के व्यापक डांग क्षेत्र को लेकर बाघ अभ्यारण्य का रूप दिया गया है ! अभी अभी कुछ ही दिनों पहले धौलपुर करौली टाईगर रिजर्व की घोषणा की गयी है और उसके लिये ग्राम सभाओं से अनुमोदन कराने की प्रक्रिया शुरू की गयी है-जारी है! जिसे पारदर्शी , साफगोई और वास्तविक जन भागीदारी के तरीके से नहीं बल्कि नौकरशाही फरमान के दबाव के तौर पर और यहां तक कि खानापूर्ती के तौर पर ही पूरा किया-करवाया जा रहा है !
इस तरह स्थिति यह है कि सीधी साधी और अधिकांश अनपढ़ गरीब वनवासी जनता को झांसे में रखने और बांट कर झूठ बोल कर इस जनविरोधी योजना को अंजाम दिया जा रहा है – जिससे झेत्र की जनता गफलत मे रहे बंटी रहे और एकजुट नही हो सके बल्कि अपने अधिकाऱो और जीवन पर इस हमले को समझ ही नहीं सके! बार-बार के ज्ञापन, निवेदन के बाद भी आज तक शासन प्रशासन, राज्य सरकार, सम्बंधित अधिकारियों, जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित जनता को कोई राहत , उनके जीवन अधिकार और मूलभूत आवश्यकताओं के मसले में कोई कार्यवाही करना तो दूर ,उनकी समस्याओं को गम्भीरता से लिया ही नहीं गया है – इसमें खास यह कि फोरेस्ट विभाग की गैर-कानूनी, स्वेच्छाचारी दमन उत्पीड़न की कार्यवाहियो के सम्बंध में भी ग्रामीणों के दर्द को अनसुना ही किया जाता रहा है !
इस सम्बंध में वनवासियों द्वारा विगत वर्षों में कई बार प्रदर्शन किये, ज्ञापन-प्रतिवेदन दिये है! हाल ही में ताज़ा प्रदर्शन मार्च 2023 में ज़िला मुख्यालय करौली सिटी में किया गया । लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ़ आश्वासन ही दिया गया अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
मानस भूषण द्वारा प्रेषित